बल्ला कांड में एमपी-एमएलए कोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय बरी
इंदौर। पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय को 5 साल पुराने बल्ला कांड में कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इस मामले में विशेष न्यायलय ने आकाश विजयवर्गीय सहित सभी आरोपीयों को बरी कर दिया। कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव और फरियादी के बयान पर आकाश विजयवर्गीय को दोषमुक्त किया है। कोर्ट के सामने फरियादी निगम अधिकारी धीरेंद्र बायस बयान से पलट गए थे। यू टर्न बयान के बाद कोर्ट ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश पर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
मामले में निगम अधिकारी और फरियादी धीरेंद्र बायस कोर्ट के सामने अपने बयान से पलट गए थे। बायस ने अपने बयान में कहा कि आकाश विजयवर्गीय ने उन पर हमला नहीं किया था। साक्ष्यों के अभाव और फरियादी के बयान बदलने के कारण न्यायाधीश देव कुमार ने आकाश विजयवर्गीय को दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि मामले में पेश किए गए साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे और फरियादी द्वारा दिए गए यू-टर्न बयान के बाद कोई ठोस आधार नहीं बचा जिससे आरोप साबित हो सकें।
क्या था मामला
घटना 26 जून 2019 की है, जब इंदौर नगर निगम की टीम शहर के गंजी कंपाउंड इलाके में एक जर्जर मकान को तोड़ने के लिए कार्रवाई कर रही थी। इसी दौरान पूर्व विधायक और बीजेपी नेता आकाश विजयवर्गीय मौके पर पहुंचे और कार्रवाई रोकने की मांग की। जब निगम अधिकारी धीरेंद्र बायस ने कार्रवाई जारी रखी, तो आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से उन पर हमला कर दिया। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद आकाश विजयवर्गीय की गिरफ्तारी हुई और उन पर कई धाराओं में केस दर्ज किया गया।
बल्लाकांड में शामिल सभी आरोपी बरी
आकाश विजयवर्गीय के अलावा इस मामले में 11 अन्य आरोपियों पर भी एफआईआर दर्ज की गई थी, जो घटनास्थल पर मौजूद थे। कोर्ट ने साक्ष्यों की कमी और फरियादी के पलटे हुए बयान के आधार पर सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
5 साल तक चला केस
यह मामला पिछले पांच सालों से कोर्ट में लंबित था। लगातार सुनवाई और गवाहों के बयान के बावजूद कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए जा सके। जिससे आकाश विजयवर्गीय या अन्य आरोपियों पर लगे आरोप सिद्ध हो पाते। अंततः विशेष न्यायाधीश देव कुमार की अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। आकाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं। उनकी इस घटना ने न केवल मध्यप्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि, अब कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद विजयवर्गीय परिवार के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।
निगम अधिकारी का पलटा बयान
इस केस में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब मुख्य फरियादी निगम अधिकारी धीरेंद्र बायस ने कोर्ट में अपना बयान बदल दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आकाश विजयवर्गीय ने उन पर हमला नहीं किया था, जिससे केस की दिशा बदल गई और सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। इस फैसले के बाद आकाश विजयवर्गीय को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन यह मामला इंदौर की राजनीतिक और कानूनी गलियारों में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा।