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पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल पारित, 36 दिन में दोषियों को मिलेगी मौत

नई दिल्ली। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या मामले ने देशभर को झंकझोर दिया है। इस मामले में लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। वहीं इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी बड़ा कदम उठाया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन एंटी रेप बिल पेश किया है। ये बिल विधानसभा में पारित हो गया। इस बिल का मकसद पीड़ितों को तुरंत न्याय दिलाना और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देना है। इस बिल में 10 दिन के अंदर दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान है।

इस बिल के मुताबिक शुरुआती जांच रिपोर्ट 21 दिनों के भीतर पेश करने और तय समय में केस की सुनवाई पूरी किए जाने के साथ हर जिले में अपराजिता टास्क फोर्स के नाम से स्पेशल फोर्स का गठन करने की बात कही गई है। इतना ही नहीं अगर किसी ने दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर की तो उस पर भी एक्शन लिए जाने का प्रावधान है।

बीजेपी ने ममता बनर्जी सरकार के इस बिल का समर्थन करने का ऐलान किया था। आपको बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि देशभर के डाक्टरों और आम लोगों में भी बहुत रोष है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था मगर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी है। सीबीआई द्वारा केस की पड़ताल जारी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है।

इस बीच, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज दुष्कर्म और हत्या मामले में पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) और वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में त्वरित कार्रवाई की सुविधा के लिए यौन उत्पीड़न साक्ष्य किट अपनाने और यौन उत्पीड़न नर्स परीक्षकों की नियुक्ति का सुझाव दिया है।

पिंकी आनंद अपने पत्र में इस संबंध में विचार के लिए कई सिफारिशें साझा की हैं। उन्होंने कहा कि ये सुझाव संपूर्ण नहीं हैं इसलिए उन्होंने जरूरत पड़ने पर इन सिफारिशों पर अतिरिक्त जानकारी या अन्य किसी भी तरह की डिटेल उपलब्ध कराने की भी पेशकश की है।

 

 

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