मध्यप्रदेशराज्य

इंदौर के अनाथ आश्रम में 12 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, दो की मौत, दो गंभीर

इंदौर। इंदौर शहर के एक अनाथ आश्रम में 12 बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ गई। इनमें से दो दिन में दो बच्चों ने दम तोड़ दिया। आज सुबह बच्चों को एमवाय अस्पताल से चाचा नेहरु अस्पताल भेजा गया है। एमवायएच अधीक्षक डॉ. अशोक यादव का कहना है कि बच्चों में डिहाइड्रेशन के प्रारंभिक लक्षण मिले हैं। अस्पताल में 12 बच्चे भर्ती हैं, इनमें से दो की हालत गंभीर है। सभी बच्चे मल्हारगंज स्थित श्री युगपुरुष धाम में रह रहे थे। मल्हारगंज पुलिस के मुताबिक 12 साल के करण की कल अचानक तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। आज सुबह सात साल के आकाश ने भी दम तोड़ दिया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। आश्रम की ओर से बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को लेटर लिखकर मामले की जानकारी दी गई है। इसमें खून में इंफेक्शन होने की बात लिखी है। कलेक्टर आशीषसिंह ने कहा कि आश्रम में दो बच्चों की मौत हुई है। कल जिस बच्चे की मौत हुई उसे मिर्गी की बीमारी थी। जबकि एक बच्चा फूड पॉइजनिंग का शिकार हुआ था। फिर भी दोनों की मौत का परीक्षण किया जाएगा। डॉक्टर्स की टीम बता रही है कि सभी का इलाज कर रही है। फूड पॉइजनिंग का मामला हो सकता है। आश्रम में 207 बच्चे हैं। उनकी जांच कर रहे हैं। वहां परीक्षण के लिए टीम भेज दी गई है।

बच्चों की जान बचाने में जुटे: एमवायएच अधीक्षक

एमवायएच अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने कहा कि 12 बच्चों को भर्ती किया गया है। इनमें से दो की हालत गंभीर है। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की पूरी टीम बच्चों के इलाज में जुटी हुई है। प्रारंभिक रूप से डायरिया की जानकारी सामने आई है। किसी तरह का इंफेक्शन हुआ तो उसकी जांच की जाएगी। सबसे पहले हम बच्चों की जान बचाने में जुटे हैं।

जिस बच्चे को पहले इंफेक्शन हुआ, वह स्वस्थ

बताया जा रहा है कि आश्रम में सबसे पहले कृष्णा को इंफेक्शन हुआ था। इसके बाद बाकी बच्चों की हालत बिगड़ी। कृष्णा अब स्वस्थ है। 12 साल का करण देवास जिले के सोनकच्छ का रहने वाला था। इसे 15 महीने पहले चाइल्ड लाइन के माध्यम से आश्रम में लाया गया था। जबकि, नर्मदापुरम जिले का रहने वाला 7 साल के आकाश को चाइल्ड लाइन ने 3 महीने पहले आश्रम को सौंपा था।

मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का आश्रम है

इंदौर के पंचकुइया रोड स्थित श्री युगपुरुष धाम आश्रम में मानसिक दिव्यांग बच्चों को रखा जाता है। यहां अलग-अलग जिलों से बच्चों को चाइल्ड लाइन या अन्य माध्यम से सौंपा जाता है। यहां फिलहाल 217 मानसिक दिव्यांग बच्चे (101 बच्चे और 116 बच्चियां) हैं। सरकारी रिकॉर्ड में सभी बच्चों के साथ मां का नाम डॉ. अनिता शर्मा लिखा हुआ है। जो बच्चे 10-15 साल पहले आए थे, इन्हीं में से 18 बेटियां एक-एक बच्चे की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

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