घर में कितने शालिग्राम होने चाहिए, कोई उपहार में दे तो क्या करें? जान लें नियम, गलती पर लक्ष्मी होंगी रुष्ट
हिंदू धर्म में शालिग्राम भगवान की पूजा का बड़ा महत्व है. खासकर हर महीने पड़ने वाली पूर्णिमा और तुलसी विवाह के दौरान इनकी विशेष रूप से पूजा करने का विधान है. शालिग्राम भगवान को भक्त ठाकुरजी भी कहते हैं. मान्यता के अनुसार, शालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप हैं. ऐस भी माना जाता है कि अगर सच्चे मन से इनकी सेवा की जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होने देतीं.
लेकिन, शास्त्रों में शालिग्राम भगवान को लेकर कई नियम बताए गए हैं. खासकर घर में लाने और उनके पूजा घर में रखने पर कुछ बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है. जिस घर में शालिग्राम होते हैं, वहां पर नियम-विधि का पालन महत्वपूर्ण हो जाता है. कई लोग शालिग्राम भगवान खरीद कर घर लाते हैं तो कई उपहार में उन्हें प्राप्त करते हैं. अगर आपने उनकी सेवा में नियम-विधि की अनदेखी की तो इसके विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं.
नहीं तो लक्ष्मी हो जाएंगी रुष्ट
बताया कि शालिग्राम भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं, जो काले पत्थर स्वरूप में विराजमान होते हैं. हिंदू धर्म में ज्यादातर लोगों के पूजा घरों में शालिग्राम भगवान स्थापित रहते हैं. लेकिन, शालिग्राम भगवान की पूजा विधि-विधान और नियम के साथ ही करनी चाहिए. हर रोज शालिग्राम भगवान की पूजा आराधना करने से घर में सुख समृद्धि और धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है और उस घर को तीर्थ स्थान के रूप में माना जाता है. लेकिन, शालिग्राम भगवान को घर लाने से पहले या घर में रखने पर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है. नियमों को नहीं मानने पर मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और दरिद्रता छा सकती है.
शालिग्राम भगवान की पूजा इन बातों का रखें ध्यान
– उपहार के रूप में मिले शालिग्राम भगवान को घर में बिलकुल न स्थापित न करें. हमेशा बाजार से खरीद कर ही शालिग्राम भगवान को घर में स्थापित करना चाहिए.
– पूजा घर में एक ही शालिग्राम को स्थापित करें. एक से ज्यादा शालिग्राम हो जाएं तो उसे क्षमा मांग कर नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए, तभी शुभ फल की प्राप्ति होगी. माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
– शालिग्राम भगवान को हमेशा तुलसी ही अर्पण करें. अक्षत बिल्कुल भी न अर्पण करें, नहीं तो माता लक्ष्मी रुष्ट हो जाएंगी और घर में दरिद्रता छा जाएगी.