अंतरिक्ष में सुनीता विलियम्स और साथियों को मिला ‘सूक्ष्म राक्षस’, बढ़ा सकता है मुसीबत…
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने इस बार जबसे अंतरिक्ष यात्रा शुरू की है, कई बार उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
दो बार उड़ान से ठीक पहले यात्रा को रद्द कर कर दिया गया। वहीं खबर है कि इंटरनेशल स्पेस सेंटर (ISS) में पहुंचने के बाद उन्हें और उनके सहयोगियों की मुलाकात नई मुसीबत से हो गई है।
ISS में एक स्पेसबग पाया गया है जो कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।
श्वसन तंत्र को डैमेज कर सकता है बैक्टीरिया
वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्हें एक मल्टी ड्र्ग रजिस्टैंट बैक्टीरिया मिला है जिसका नाम इंटरो बैक्टर बुगाडेंसिस है। ISS के वातावरण में रहकर ही यह बैक्टीरिया विकसित हुआ है और ज्यादा शक्तिशाली हो गया है।
इतना ताकतवर होने की वजह से इसे ‘सुपरबग’ भी कहा जाता है। यह बैक्टीरिया स्वसन तंत्र के लिए घातक हो सकता है।
वैसे तो ये बैक्टिरिया धऱती पर ही पाए जाते हैं लेकिन जब कोई व्यक्ति ISS जाता है तो उनके साथ छिपकर ये वहां तक पहुंच जाते हैं।
इस बार सुनीता विलियम्स के साथ उनके साथी अंतरिक्षयात्री बैरी इयुजीन बुच विलमोर भी पहुंचे हैं। 6 जून को उन्होंने नए बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से उड़ान भरी थी। उनको ISS गए एक सप्ताह का वक्त बीतने वाला है और वे जल्द ही वापस भी लौट सकती हैं।
ISS में लंबे समय से सात क्रू मेंबर रह रहे हैं। ISS में रहने वाले लोगों को अंतरिक्ष में तैरने वाले मलबे की चिंता तो रहती ही है लेकिन अब उन्हें बैक्टीरिया की चिंता ज्यादा सताने लगी है। हाल ही में NASA ने सुपरबग के बारे में कहा था, ई बुगांडेंसिस बैक्टिरिया को आईएसएस से अलग कर दिया गया था।
इसके 13 प्रतिरूप पाए गए थे। अध्ययन में पाया गया था कि तनाव की वजह से ISS में ये बैक्टीरिया म्यूटेट कर गए और जेनेटिकली और फंक्शनली अलग हो गए। ऐसे में अब ये बैक्टीरिया धरती वाले बैक्टीरिया से एकदम अलग हैं।
बता दें कि स्पेसबग को लेकर नासा की जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी कैलिफोर्निया की अध्यक्ष डॉ. कस्तूरी वेंकटेश्वर ने कई बातें बताई हैं। वह NASA में जाने से पहले चेन्नई की अन्नामलाई वयूनिवर्स्टी में मरीन माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई कर रही थीं।
2023 में उन्होंने एक और मल्टी ड्रग रजिस्टैंट बग की खोज की थी जिसका नाम कालामेला पियरसनोनी था जो कि उनके आदर्शन रहे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर आधारित था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि आईएसएस में किसी का जीवन आम नहीं होता है। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी पृथ्वी के मुकाबले कम होजाती है। ऐसे में आईएसएस में मौजूद स्पेसबग एक बड़ी चुनौती बन जाते हैं। ऐसे में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन और उनके प्रभाव की जानकारी होनी जरूरी है।
नासा का कनहा है कि मानव निर्मित बंद वातावरण में माइक्रोग्रैविटी, रेडिएशन और ज्यादा कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रता एक एक्सट्रीम वातावरण बना देता है जिसमें सूक्ष्मजीव म्यूटेट होने लगते हैं। वहीं वैज्ञानिक हैरान भी हैं कि इतने चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी सूक्ष्मजीव कैसे पनप रहे हैं।
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