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बिना NOC के चल रही थी नरेला में मौत की फैक्टरी, नियमों का पालन नहीं; इस साल इतने लोगों की मौत

नरेला और बवाना की करीब 20 हजार फैक्टरी में से 90 फीसदी के पास दिल्ली फायर सर्विस की एनओसी नहीं है। नियमों को ताक में रखकर ज्यादातर फैक्टरी चल रही हैं। यहां अक्सर आग लगती रहती है। ज्यादातर फैक्टरी में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं है। नरेला औद्योगिक क्षेत्र की जिस फैक्टरी में शनिवार तड़के धमाके के बाद आग लगी उसे बैगर फायर एनओसी के ही चलाया जा रहा था। आग पर काबू पाने के बाद जब फैक्टरी में आग से बचने के इंतजामों की जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। अलबत्ता फैक्टरी में इक्का-दुक्का जगहों पर आग बुझाने वाले सिलेंडर जरूर मिले हैं।नरेला और बवाना में 90 फीसदी फैक्टरी के पास नहीं है एनओसी दिल्ली फायर सर्विस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नरेला और बवाना औद्योगिक क्षेत्र में छोटी-बड़ी करीब 20 हजार से ज्यादा फैक्टरी हैं। यहां की 90 फीसदी से अधिक फैक्टरी दिल्ली फायर सर्विस की एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना ही चल रही हैं। इनमें आग बुझाने के भी कोई इंतजाम नहीं हैं।

नरेला में कई फैक्टरियां कर रही नियमों का उल्लंघन

दमकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यहां की ज्यादातर फैक्टरी को गुफानुमा बनाया गया है। नियमों के अनुसार सभी फैक्टरी में अंदर और बाहर की ओर दो सीढि़यों (जीना)(करीब डेढ़ मीटर चौड़ी) का इंतजाम होना चाहिए, लेकिन शायद ही यहां कोई ऐसी फैक्टरी होगी, जहां पर नियमों को ध्यान में रखकर दो सीढि़यों बनाई गई हो।

कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती

फैक्टरी मालिक ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करने के चक्कर में फैक्टरी में लगी मशीनों को 24-24 घंटे चलाते हैं। मशीनों का रख-रखाव भी नहीं किया जाता है। ऐसे में इनमें हादसे की संभावना बनी रहती है। दूसरी ओर गांव से आने वाले सीधे-साधे मजदूरों से दिनरात काम तो करवाया जाता है, लेकिन उनको किसी भी तरह आग से बचाव की कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती है।

हादसे के बाद याद आते हैं नियम

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि किसी हादसे के बाद सभी विभाग सतर्क हो जाते हैं, जांच पड़ताल भी शुरू हो जाती है। समय बीतने के साथ सभी लोग मुद्दे को भूल जाते हैं। दमकल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो भी फैक्टरी मालिक तय मानकों को पूरा करते हैं, पड़ताल के बाद उनको एनओसी जारी कर दी जाती है।

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