कब है गायत्री जयंती? रवि योग और चित्रा नक्षत्र में होगी पूजा, जानें मुहूर्त और महत्व
गायत्री जयंती का पावन पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है. इस दिन वेदों की माता गायत्री का प्रकाट्य हुआ था. माता गायत्री को वेद माता भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता गायत्री से ही 4 वेदों की उत्पत्ति हुई थी. इनसे संबंधित गायत्री मंत्र में सभी 4 वेदों का सार होता है. मां गायत्री सभी तरह के ज्ञान की देवी हैं. उनकी पूजा त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी करते हैं.
किस दिन है गायत्री जयंती 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को प्रात: 04 बजकर 43 मिनट से प्रारंभ हो जा रही है. यह तिथि 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर खत्म हो रही है. ऐसे में गायत्री जयंती 17 जून दिन सोमवार को मनाई जाएगी.
रवि योग और चित्रा नक्षत्र में गायत्री जयंती
17 जून को गायत्री जयंती के दिन रवि योग, शिव योग और चित्रा नक्षत्र है. उस दिन रवि योग सुबह में 05:23 ए एम से दोपहर 01:50 पी एम तक है. इसके अलावा परिघ योग प्रात:काल से लेकर रात 09 बजकर 35 मिनट तक है. उसके बाद से शिव योग प्रारंभ होगा.
वहीं गायत्री जयंती वाले दिन चित्रा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक है. उसके बाद से स्वाति नक्षत्र है.
गायत्री जयंती 2024 मुहूर्त
यदि आपको गायत्री जयंती के दिन मां गायत्री की पूजा करनी है तो सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद आराधना कर सकते हैं. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:03 ए एम से 04:43 ए एम तक है. सूर्योदय समय 05:23 ए एम है.
गायत्री जयंती के दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 05:23 ए एम से 07:08 ए एम तक है. शुभ-उत्तम मुहूर्त 08:53 ए एम से 10:37 ए एम तक है.
गायत्री जयंती वाले दिन पाताल की भद्रा
इस साल गायत्री जयंती पर भद्रा लग रही है. भद्रा शाम 05 बजकर 38 मिनट से लग जाएगी और अगले दिन 18 जून को प्रात: 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगी. इस भद्रा का वास पाताल लोक में है. इस वजह से यह अशुभ फलदायी नहीं होगी.
गायत्री माता का प्रकाट्य कैसे हुआ?
पौराणिक आधार पर ब्रह्म देव सृष्टि की रचना अभी शुरू करने वाले थे, उस समय गायत्री मंत्र प्रकट हुआ. उसके बाद उन्होंने माता गायत्री का आह्वान किया और उस मंत्र की व्याख्या की. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री माता 4 वेद, शास्त्र आदि प्रकट हुए थे.
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.