सुनीता विलियम्स ने उड़ान भरने से पहले कैलिप्सो कैप्सूल से कह दी ऐसी बात, अब हो रही वायरल
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने इतिहास रचा। उन्होंने एक बार फिर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। हालांकि, उड़ान से पहले उन्होंने कैलिप्सो से कहा कि हमें अंतरिक्ष ले चलो और वापस भी ले आओ। बता दें, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स तीसरी बार अपने सहयोगी बैरी बुच विलियम्स के साथ अंतरिक्ष के लिए रवाना हुई हैं। दोनों ने बोइंग कंपनी के स्टारलाइनर यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की ओर उड़ान भरी।
अब संदेश हो रहा वायरल
सुनीता ने उड़ान भरने से पहले मिशन कंट्रोल को संदेश भेजकर कहा था- 'चलो चलते हैं, कैलिप्सो। हमें अंतरिक्ष ले चलो और वापस ले आओ।' सुनीता की मां बोनी पांड्या ने एक मीडिया चैनल को बताया कि उड़ान भरने से कुछ घंटे पहले उनकी बेटी काफी सकारात्मक थी और अंतरिक्ष में उड़ान भरने को लेकर बहुत ही खुश थी। वहीं, नासा ने आज नया अपडेट देते हुए कहा कि सुनीता और बुच विलमोर दोनों कक्षा में स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान पर शुरुआती परीक्षण करने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पहले छह घंटे बहुत ही दिलचस्प रहे हैं।
5 जून को शुरू हुआ सुनीता का अंतरिक्ष अभियान
सुनीता विलियम्स का स्टारलाइनर अभियान पांच जून को केप कैनावेरल अंतिक्ष स्टेशन से शरू हुआ। भारतीय समयानुसार यह अभियान रात आठ बजकर 22 मिनट पर शुरू हुआ। यह यान अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में छह जून रात 9 बजकर 45 मिनट पर पहुंचेगा। इस अभियान में विलियम्स के साथ उनके सहयोगी बुच विल्मोर भी गए हैं।
ऐसा करने वाली दुनिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं
बताया गया है कि बोइंग स्टारलाइनर यान की उड़ान में कई बार, कई वजहों से दरी हुई। आखिरकार, फ्लोरिडा के केप कैनवेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से इस यान की रवानगी हुई। इस तरह के मिशन पर जाने वाली सुनीता विलियम्स दुनिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बन गईं हैं। मई 1987 में सुनीते ने अमेरिका की नौसेना अकादमी से प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद वे अमेरिका की नौसेना से जुड़ीं थीं। 1998 में उन्हें नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था। इससे पहले वर्ष 2006 और वर्ष 2012 में सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा बन चुकीं हैं।