मेरी शिकायतों की अनदेखी हुई, चुनाव आयोग पर फूटा मल्लिकार्जुन खरगे का गुस्सा…
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि निर्वाचन आयोग ने उनके शिकायतों की अनदेखी की है।
खरने ने कहा कि आयोग ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं को लिखे गए एक पत्र का जवाब देने का तो फैसला किया, लेकिन उनके द्वारा सीधे आयोग में की गई कई अन्य शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों को संबोधित एक पत्र में उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा दिए जा रहे घोर सांप्रदायिक और जातिवादी बयानों से निपटने में कोई तत्परता नहीं दिखा रहा है और यह हैरान करने वाला है।
पहले दो चरणों के मतदान के आंकड़े जारी करने में निर्वाचन आयोग की देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए खरगे द्वारा इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस के नेताओं को लिखे गए पत्र के जवाब में, आयोग ने शुक्रवार को इसे स्पष्टीकरण मांगने की आड़ में पूर्वाग्रहपूर्ण विमर्श को आगे बढ़ाने का प्रयास बताया था।
खरगे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह स्पष्ट रूप से गठबंधन सहयोगियों को संबोधित एक खुला पत्र था, न कि आयोग को। खरगे ने शनिवार को निर्वाचन आयोग के भेजे अपने पत्र में कहा, “आश्चर्य की बात है कि भारत निर्वाचन आयोग इस पत्र का जवाब देना चाहता था, जबकि सीधे तौर पर दी गई कई अन्य शिकायतों को नजरअंदाज कर रहा है। पत्र की भाषा को लेकर मेरे मन में कुछ शंकाएं हैं, लेकिन मैं उस मुद्दे पर जोर नहीं दूंगा, क्योंकि मैं समझता हूं कि वे किस दबाव में काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का पत्र एक तरफ कहता है कि आयोग नागरिकों के सवाल पूछने के अधिकार का सम्मान करता है और दूसरी तरफ, नागरिकों को सावधानी बरतने की सलाह के रूप में धमकाता है।
खरगे ने कहा, “मुझे खुशी है कि आयोग समझता है कि उसे संविधान के तहत निर्बाध, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार है। हालांकि, चुनावी प्रक्रिया को दूषित करने वाले सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा दिए जा रहे घोर सांप्रदायिक और जातिवादी बयानों के खिलाफ कार्रवाई करने में आयोग द्वारा दिखाई गई तत्परता की कमी हैरान करने वाली लगती है।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि वह यह लिखने की आवश्यकता से हैरान हैं कि आयोग किसी निर्वाचन क्षेत्र या राज्य के समग्र स्तर पर मतदान के आंकड़े को प्रकाशित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, भले ही यह तथ्यात्मक हो।
उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि हमारे देश के कई मतदाता भी आश्चर्यचकित होंगे। कई मतदाता जो चुनावों में गहरी रुचि रखते हैं, वे यह भी देखना चाहेंगे कि मतदान की कुल संख्या आयोग द्वारा सीधे सार्वजनिक की जाए।” निर्वाचन आयोग ने खरगे के पत्र को चुनाव संचालन की एक महत्वपूर्ण कड़ी पर हमला करार दिया था।