अब जो चाहे वो कर सकते हैं मुइज्जू, अत्याचारी शासन का डर; क्यों घबराए मालदीव के संविधान ‘निर्माता’…
बहुत कम लोगों को उम्मीद थी कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी रविवार के संसदीय चुनाव में जीत हासिल करेगी।
अब मुइज्जू ने जीत ही हासिल नहीं की है बल्कि प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है।
इस चुनाव को देश के राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिनकी नीतियों पर मालदीव में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करते रहे भारत और चीन की नजर रहती है। हालांकि मुइज्जू की बंपर जीत से मालदीव के बुद्धिजीवी घबराए हुए हैं।
कितनी सीटें जीते मुइज्जू?
मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने रविवार को हुए चुनाव में 20वीं ‘पीपुल्स मजलिस’ (संसद) में 93 में से 68 सीट जीतीं और इसके गठबंधन साझेदारों-मालदीव नेशनल पार्टी (एमएनपी) तथा मालदीव डेवलेपमेंट एलायंस (एमडीए) ने क्रमश: एक और दो सीट जीती हैं जो कि संसद के दो-तिहाई बहुमत से अधिक है।
इसके साथ ही पीएनसी को संविधान में संशोधन की शक्ति मिल गई है। यानी मुइज्जू सरकार जब चाहे तब मालदीव का संविधान बदल सकती है।
न्यूज पोर्टल अल-जजीरा से बात करते हुए पूर्व सांसद और माले में मंधू कॉलेज के संस्थापक इब्राहिम इस्माइल ने कहा कि मुइज्जू के पास अब “पूर्ण शक्ति” है। हालांकि उन्होंने डर जताते हुए कहा कि “बहुमत का इस कदर होना अच्छी बात नहीं है। अब आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का कैसे और कितना संतुलन बिठाकर इस्तेमाल करेंगे।”
“अत्याचारी शासन” के वापसी का डर
मालदीव के संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस्माइल ने कहा कि उन्हें मालदीव में बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत के लगभग दो दशक बाद “अत्याचारी शासन” के वापसी का डर है।
उन्होंने कहा, “सही मायनों में पीएनसी (मुइज्जू की पार्टी) कोई उचित राजनीतिक दल नहीं है। यह पार्टी जमीनी स्तर से उठकर ऊपर नहीं आई है। इसने जमीनी हालात नहीं देखे हैं।
इस्माइल ने आगे कहा कि “मुइज्जू की पार्टी का गठन उनके सत्ता में आने के दौरान हुआ था और पार्टी में उसे जिम्मेदार ठहराने वाला कोई नहीं है, पार्टी का अपना कोई ढांचा नहीं है। मूल रूप से, प्रत्येक सदस्य जो पीएनसी टिकट पर संसद के लिए चुना गया है, राष्ट्रपति की दया पर निर्भर है।”
इस्माइल ने कहा कि यह जीत राष्ट्रपति को “न्यायपालिका पर लगभग पूर्ण शक्ति” भी देती है। उन्होंने कहा, “संभावना है कि अदालतों में बदलाव होंगे, संभवतः सुप्रीम कोर्ट की पूरी पीठ को बदल दिया जाएगा।
अगर कोई न्यायाधीश अपना पद बरकरार रखना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे अत्याचारी शासन का मार्ग प्रशस्त होगा।”
सरकार “संविधान को फिर से लिख सकती है…
इस्माइल ने कहा कि ठीक इसी प्रकार चिंताजनक बात यह है कि सरकार “संविधान को फिर से लिख सकती है।”
उन्होंने कहा कि ये सरकार चाहे तो निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने वाले प्रावधानों को संभावित रूप से कमजोर कर सकती है और निर्वाचित अधिकारियों पर कार्यकाल की सीमा लगा सकती है।
समाचार वेबसाइट ‘मिहारू’ के अनुसार, भारत समर्थक नेता माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह की अगुवाई वाली मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने पिछली संसद में 65 सीट जीती थीं लेकिन इस बार उसे केवल 15 सीट ही मिली हैं।
चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू (45) ने कहा है कि वह अपने देश में भारत का प्रभाव कम करना चाहते हैं। स्थानीय मीडिया ने रविवार को हुए चुनाव में पीएनसी की बड़ी जीत को ‘‘प्रचंड बहुमत’’ बताया है।