ब्याज दरों पर आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का मंथन शुरू, रेपो दर का ऐलान 5 को…
नीतिगत ब्याज दर पर निर्णय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हो गई।
तीन दिन तक चलने वाली बैठक में आरबीआई की एमपीसी रेपो दर के संबंध में निर्णय करेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी के फैसले की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी।
यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। गवर्नर दास की अध्यक्षता वाली समिति में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा भी शामिल हैं।
एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष में एमपीसी की कुल छह बैठकें आयोजित होंगी।
फरवरी 2023 से बदलाव नहीं
ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई एक बार फिर प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखेगा और मुद्रास्फीति नियंत्रण पर अपना ध्यान बनाए रखेगा।
आर्थिक वृद्धि दर को लेकर चिंताएं कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही ध्यान रहने की उम्मीद है।
आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो दर में बढ़ोतरी की थी और तब से यह लगातार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है। पिछली छह द्विमासिक नीतियों में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया।
अन्य देशों से अच्छे संकेत
विशेषज्ञों ने कहा कि एमपीसी बैठक में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के रुख पर तवज्जो दी जा सकती है। ये केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती को लेकर फिलहाल ‘देखो और इंतजार करने’ की स्थिति में हैं।
वहीं, स्विट्जरलैंड ब्याज दरों में कटौती करने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जबकि दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने नकारात्मक ब्याज दरों का सिलसिला हाल ही में खत्म कर दिया है।
तीसरी तिमाही में कटौती की उम्मीद
सबकी निगाहें दरों में होने वाले बदलाव पर टिकी है। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है कि आगामी बैठक में दरों में कटौती की संभावना नहीं है।
एसबीआई के मुताबिक, आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में पहली कटौती का ऐलान कर सकता है।
महंगाई पर अनुमान
सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे।
फरवरी के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.1 प्रतिशत थी। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई तक महंगाई दर में गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद सितंबर में यह बढ़कर 5.4 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच जाएगी, जिसके बाद इसमें गिरावट आएगी. पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए खुदरा महंगाई दर औसतन 4.5 फीसद रहने की संभावना है।