जो बाइडन ने शी जिनपिंग को लगाया फोन, आपसी रिश्ते में तनातनी के बीच क्या हुई बातचीत…
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को टेलीफोन पर बातचीत हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी रिश्ते में बढ़ते तनाव को रोकने पर जोर दिया। बीते नवंबर में कैलिफोर्निया में शिखर सम्मेलन के बाद बाइडन और जिनपिंग के बीच यह सीधी बातचीत हुई है।
मालूम हो कि यूएस के टॉप ऑफिसर जल्द ही बीजिंग का दौरा करने वाले हैं। अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकन और ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन चीन के दौरे पर जाएंगे।
एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि येलेन आने वाले दिनों में बीजिंग जाएंगे, जबकि ब्लिंकन इसके कुछ दिनों बाद वहां पहुंच सकते हैं।
चीनी स्टेट ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी के मुताबिक, बाइडन और जिनपिंग के बीच आम चिंता के मुद्दों पर गहरी बातचीत हुई।
मालूम हो कि जिनपिंग दशकों से चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बने हुए हैं। वह घरेलू स्तर पर काफी ताकतवर माने जाते हैं और एशिया में उन्होंने कड़ा रुख अपनाया है।
खासतौर से हांगकांग में स्वतंत्रता की मांग पर ऐक्शन लेना और दक्षिण चीन सागर को लेकर फिलीपींस से जोरदार टकराव प्रमुख हैं। हालांकि, अमेरिकी पर्यवेक्षकों का मानना है कि शी जिनपिंग अमेरिका के साथ तनाव कम करने के लिए उत्सुक हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि चीन इन दिनों कठिन आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रहा है। ऐसे में यूएस से मधुर रिश्तों के साथ व्यापार बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
व्हाइट हाउस में मुस्लिम नेताओं के लिए इफ्तार पार्टी
दूसरी ओर, जो बाइडन व्हाइट हाउस में अमेरिकी मुस्लिम समुदाय के नेताओं के एक छोटे समूह की मेजबानी करने वाले हैं। इसके बाद इफ्तार पार्टी (रमजान के महीने में रोजा खोलने के समय दिया जाना वाला भोज) आयोजित की जाएगी।
माना जा रहा है कि बाइडन मुस्लिम समुदाय के नेताओं से गाजा पर चर्चा करेंगे, क्योंकि वह पश्चिम एशिया में हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल के समर्थन से बने तनाव को दूर करना चाहते हैं।
बैठक में बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ डेमोक्रेटिक प्रशासन के मुस्लिम कर्मचारी और वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोगी शामिल होंगे। गाजा में हमास और इजराइल के बीच युद्ध शुरू हुए 6 महीने बीतने को हैं।
व्हाइट हाउस और मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के बीच यह अब तक का सबसे उच्च स्तरीय संवाद है। इफ्तार पार्टी में राष्ट्रपति के साथ मुस्लिम कर्मचारी भी शामिल होंगे।