पहली बार चीन के करीब जा अमेरिका ने दागे हाइपरसोनिक मिसाइल, गुआम से परीक्षण कर ड्रैगन को क्या संदेश…
अमेरिकी वायु सेना ने प्रशांत महासागर में हवा से लॉन्च किए जाने वाले एक हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।
अमेरिकी वायु सेना के अनुसार, यह परीक्षण रविवार को गुआम सैन्य अड्डे से किया गया, जब B-52 बमवर्षक विमान ने वहां से एयर-लॉन्च रैपिड रिस्पांस वेपन (ARRW) को लेकर उड़ान भरी और थोड़ी ही देर बाद उसे लॉन्च किया। हालांकि, अमेरिकी वायु सेना ने यह नहीं बताया कि उसका यह परीक्षण सफल रहा या नहीं।
गुआम प्रशांत महासागर में चीन के करीब स्थित एक द्वीप है, जहां अमेरिका का सैन्य अड्डा और एक अहम रणनीतिक केंद्र है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका ने ARRW या किसी हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण चीन के करीब जाकर किया है। यह परीक्षण चीन समेत पूरे प्रशांत क्षेत्र के लिए एक बड़ा संदेश है।
डिफेंस न्यूज के अनुसार, अमेरिकी एयर फोर्स द्वारा किया गया यह परीक्षण हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में बने रहने के लिए पेंटागन पर बढ़ते दबाव के बीच आया है। अमेरिका पर लंबे समय से इसका दबाव रहा है क्योंकि उसके दो बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन और रूस ने इस क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है।
इतना ही नहीं, रूस और चीन का करीबी उत्तर कोरिया भी हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में काफी आगे चल रहा है। किम जोंग उन के शासन वाले उत्तर कोरिया ने भी मंगलवार को मध्यम दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए एक ठोस-ईंधन इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी है।
‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ उच्च तकनीक हथियार प्रणालियों की एक श्रृंखला का हिस्सा है जिसे उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने बढ़ती अमेरिकी शत्रुता से निपटने के लिए 2021 में पेश करने का सार्वजनिक रूप से संकल्प लिया था।
आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ ने बताया कि किम ने मंगलवार को उत्तर-पश्चिमी ‘रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र’ में ‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ के लिए ‘बहु चरणीय ठोस ईंधन’ इंजन के ‘ग्राउंड जेट’ परीक्षण का मार्गदर्शन किया।
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि प्योंगयांग की मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलों का लक्ष्य मुख्य रूप से अमेरिकी प्रशांत क्षेत्र में स्थित गुआम द्वीप को लक्षित करना है, जहां अमेरिकी सैन्य अड्डे स्थित हैं।
ये मिसाइलें संभावित रूप से अलास्का तक पहुंच सकती हैं और अपनी सीमा में रहते हुए जापान के ओकिनावा द्वीप में अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठानों के लिए भी खतरा पैदा कर सकती हैं।