दुश्मन का दुश्मन दोस्त: चिराग पासवान को INDIA अलायंस से बड़ा ऑफर, दो राज्यों में 6+2+2 सीट की पेशकश…
बिहार में NDA में सीट बंटवारे पर पेच फंसा हुआ है।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान कहे जाने वाले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान को INDIA अलायंस से बड़ा ऑफर मिला है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चिराग को 6+2+2 सीट देने की पेशकश की गई है। यानी बिहार में आठ और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में दो सीट का ऑफर इंडिया गठबंधन की तरफ से दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि चिराग पासवान को ऑफर की गई बिहार की आठ सीटों में वे सभी छह लोकसभा सीटें शामिल हैं, जिस पर 2019 के चुनावों में अविभाजित लोजपा ने जीत दर्ज की थी। इसके अलावा राज्य में दो अतिरिक्त सीट देने की भी बात कही गई है। इस तरह उन्हें कुल आठ सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है।
इंडिया गठबंधन की तरफ से दिया गया ऑफर चिराग पासवान के लिए बेहद लुभावना है क्योंकि भाजपा की अगुवाई वाले NDA में उन्हें सिर्फ वही छह सीटें दी जा रही हैं, जो 2019 में पार्टी ने जीती थी। इनमें से पांच सीटें उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के धड़े वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कब्जे में है, जिनसे उनका 36 का आंकड़ा है।
इस तरह एनडीए की तरफ से चिराग को सिर्फ सीटिंग जमुई सीट ही मिल रही है, जबकि वह पिता रामविलास पासवान की परंपरिक सीट हाजीपुर समेत छह सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं।
बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद 2021 में पार्टी विभाजित हो गई थी। उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने पांच सांसदों के साथ विद्रोह करते हुए पार्टी पर कब्जा कर लिया था।
इस विद्रोह के कुछ दिनों बाद ही पारस को केंद्र सरकार में मंत्री बनाए जाने पर चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार पर हमला बोला था। हालाँकि, उन्होंने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से परहेज किया था।
चिराग पासवान खुद को मोदी का हनुमान कहते रहे हैं, जबकि 2020 के विधानसभा चुनावों से ही नीतीश कुमार के घोर विरोधी रहे हैं।
अब इंडिया गठबंधन से नीतीश के निकलने के बाद उनके दुश्मन को दोस्त बनने का ऑफर दिया गया है। अगर चिराग ये ऑफर मान लेते हैं तो NDA को करीब 5 फीसदी वोट गंवाना पड़ सकता है।
राज्य में पासवानों का करीब 5.5 फीसदी वोट है, जिसे चिराग पासवान के साथ माना जाता है। पीएम मोदी की हालिया दो सभाओं में चिराग पासवान शामिल नहीं हुए थे, जिससे उनके नाराज होने की चर्चा चल रही है।