पाकिस्तान में आज मतदान, भारत के लिए क्यों खास है ये चुनाव; 74 बनाम 35 साल के PM की जंग में आगे कौन…
पाकिस्तान में नई सरकार चुनने के लिए आज आम चुनाव हो रहे हैं।
यह पाकिस्तान का 12वां राष्ट्रीय आम चुनाव है। पाकिस्तानी अखबार ‘द न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है, जबकि बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी दूसरे नंबर पर रह सकती है।
ल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के तीसरे नंबर पर रहने का अनुमान जताया गया है।
24.1 करोड़ आबादी वाला और परमाणु-सशस्त्र देश पाकिस्तान इन दिनों कई संकटों का सामना कर रहा है। आर्थिक संकट से लेकर तालिबान लिबरेशन आर्मी का विद्रोह और ईरान-अफगानिस्तान से भी तल्ख रिश्ते झेल रहा है।
इस बीच हो रहे चुनावों में लोगों की निगाहें ऐसे हुक्मरान पर टिकी है, जो आर्थिक संकट से उबारने के अलावा पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बेहतर कर सके।
नवाज शरीफ सबसे आगे क्यों?
इन उम्मीदों के बीच स्वनिर्वासन से लौटे नवाज शरीफ पीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं क्योंकि प्रतिद्वंद्वी पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान जेल में बंद हैं और सजा काट रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीटीआई को उसके प्रतिष्ठित चुनाव चिह्न क्रिकेट ‘बल्ले’ से वंचित करने के चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखने के बाद इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ या पीटीआई उम्मीदवार निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
74 बनाम 35 की जंग:
दूसरी तरफ, 74 साल के नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। उनका मुकाबला 35 वर्षीय बिलावल भुट्टो जरदारी से है, जो पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं।
चुनाव अनुमानों में उनकी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी दूसरे नंबर पर बताई जा रही है। पीपीपी की तरफ से वह पीएम पद के दावेदार हैं।
चुनावी रेस में नवाज शरीफ के सबसे आगे रहने की वजह पाक सेना भी है। कहा जा रहा है कि नवाज शरीफ को पाक सेना का भरपूर समर्थन मिल रहा है। पाकिस्तान में ऐसा होता रहा है कि सेना जिसका समर्थन करती है, इस्लामाबाद में सरकार उसी की बनती है।
पाक चुनाव भारत के लिए क्यों खास?
पाकिस्तान के हरेक चुनाव में भारत एक अहम मुद्दा रहा है क्योंकि वह भारत का कट्टर प्रतिद्वंद्वी है। ईरान और तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले पाकिस्तान का अमेरिका के साथ नरम-गरम रिश्ते रहे हैं लेकिन चीन का वह करीबी दोस्त है।
इन सबके बीच नवाज शरीफ भारत से अपनी पुरानी दोस्ती को पाक चुनावों में एक ट्रंप कार्ड की तरह पेश कर रहे हैं। वह अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी के पाक आने तक का हवाला देकर पाकिस्तानी आवाम का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर उनकी सरकार बनी तो दोनों देशों के बीच रिश्ते मधुर हो सकते हैं।
भारत से क्यों मधुर रिश्ते चाह रहे शरीफ
नवाज शरीफ पड़ोसी भारत से मधुर रिश्ते चाहते हैं। इसके संकेत वह कई बार दे चुके हैं। इसके पीछे की वजह भारत की आर्थिक तरक्की है।
लंदन से लौटने के बाद से ही नवाज शरीफ भारत को लेकर नरम रुख अपनाए हुए हैं। उनकी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इसके संकेत दिए हैं और भारत को शांति संदेश देने का वादा किया है। हालांकि, इसके लिए शर्त रखी है कि भारत को कश्मीर को विशेष दर्जा लौटाना होगा।
दरअसल, शरीफ को पता है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते मधुर किए बिना आर्थिक तरक्की हासिल नहीं की जा सकती, जबकि इस वक्त पाकिस्तान आर्थिक संकट से जार-जार है।
उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पाकिस्तान में आर्थिक सुधारों की पहल की एक लंबी श्रृंखला पेश की है, जिसके तहत महंगाई की दर को 2027 तक 6 फीसदी की दर तक नीचे लाने का वादा किया है।
इसके अलावा उन्होंने एक और बड़ा चुनावी वादा किया है। उन्होंने वादा किया है कि सत्ता में आने पर PML-N पांच वर्षों के दौरान कम से कम एक करोड़ नौकरियां सृजित करेगी और राष्ट्रीय बेरोजगारी दर को 5 प्रतिशत तक लाएगी।
यह तब तक संभव नहीं है, जब तक कि भारत के साथ उसके रिश्ते मधुर नहीं हो जाएं। इधर भारत में भी अप्रैल-मई में आम चुनाव होने हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।