उत्तराखंड में UCC लागू करने को सीएम धामी सरकार की 24 घंटे में 2 कैबिनेट बैठक, मुस्लिम महिलाओं को भी समान अधिकार…
उत्तराखंड यूसीसी-Uttarakhand UCC समान नागरिक संहिता पर विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट को प्रदेश कैबिनेट ने भी मंजूर कर दिया है।
इसी के साथ इसे विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।
समान नागरिक संहिता को मंजूरी प्रदान करने के लिए 24 घंटे के अंदर दूसरी बार रविवार शाम सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई।
सीएम आवास में आयोजित बैठक में मंत्रियों के सामने समान नागरिक संहिता पर विशेष प्रस्तुतिकरण दिया गया।
जिसमें रिपोर्ट की पृष्ठभूमि, प्रमुख सिफारिशें और इसके असर को विस्तार से समझाया गया। करीब एक घंटे चली बैठक के बाद कैबिनेट ने रिपोर्ट पर आधारित विधेयक को मंजूरी प्रदान करते हुए, इसे विधानसभा में प्रस्तुत करने की हरी झंडी दे दी है।
अब विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश किए जाने की तैयारी है। इसके बाद इसे लोकसभा चुनाव से पूर्व कानून के रूप में उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है।
रविवार की कैबिनेट में सिर्फ समान नागरिक संहिता का ही एजेंडा था, बैठक का आयोजन भी आनन फानन में किया गया।
इससे पहले बीते सप्ताह ही दो फरवरी को विशेषज्ञ कमेटी ने चार खंड में अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। कांग्रेस ने विधानसभा सत्र की अविध बढ़ाने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यूसीसी पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
पूरी रिपोर्ट हू ब हू मंजूर
सूत्रों के अनुसार मंत्रीमंडल ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सम्पूर्णता के साथ स्वीकार की है। यानि समिति की सभी सिफारिशों को हू ब हू बिना किसी संशोधन के स्वीकार किया गया है।
कमेटी ने नगारिक कानूनों से जुड़े सभी विषयों पर सम्पूर्णता के साथ अपनी राय दी है। हालांकि अभी पूरी रिपोर्ट सामने नहीं आई है, विधानसभा में पेश होने के बाद ही सम्पूर्ण सिफारिशें सामने आ सकेंगी।
यूसीसी की प्रमुख सिफारिश
शादी की उम्र – 18 साल से पहले नहीं हो पाएगी लड़कियों की शादी
पंजीकरण – सभी को कराना होगा विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन
तलाक समान आधार पर – पति-पत्नी एक समान आधार पर ले पाएंगे तलाक
बहु विवाह पर रोक – एक पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी
उत्तराधिकार – उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार होगा
लिव इन – लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा।
जनजातियां – अनुसूचित जनजाति के लोग यूसीसी की परिधि से बाहर रहेंगे