170 केस, 14 साल जेल: फिर भी जिंदा क्यों इमरान खान की उम्मीदें, क्या है नवाज शरीफ से कनेक्शन?…
पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजनीति में एक से बढ़कर एक करतब होते रहे हैं।
वहां तब तक किसी भी सियासी शख्स की राजनीतिक हसरतें या ख्वाब खत्म नहीं हो जाते, जब तक कि उसकी जिंदगी खत्म नहीं हो जाती।
नवाज शरीफ इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद जब जुलाई 2018 में आम चुनावों से ठीक दो हफ्ते पहले उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में 10 साल की जेल हुई तो पाकिस्तान समेत दुनियाभर में इसकी चर्चा हुई कि अब पूर्व पीएम नवाज शरीफ की सियासी पारी खत्म हो गई लेकिन उन्होंने ना सिर्फ पाकिस्तान की सियासत में कमबैक किया बल्कि चार साल तक निर्वासित जिंदगी जी कर वो चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं।
जब नवाज शरीफ का राजनीतिक पतन हुआ तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान का उदय हुआ था।
आज जब इमरान खान का सियासी पतन हो रहा है तो नवाज शरीफ का फिर से उदय हो रहा है। छह साल बाद, जब फिर आम चुनाव होने में दो सप्ताह से भी कम समय बचा है, तब एक और पूर्व पीएम की किस्मत पलट गई लगती है।
इमरान खान को तीन मामलों में दोषी ठहराया गया है, जिसमें उन्हें 14 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है। इमरान खान अब राजनीतिक गुमनामी का सामना कर रहे हैं।
तीन मामलों मे मिल चुकी है सजा
इमरान खान को कल (बुधवार को) तोशखाना मामले में एक अदालत ने पत्नी बुशरा खान समेत 14 साल जेल की सजा सुनाई है।
किसी पद पर 10 साल तक नियुक्ति नहीं होने का उन पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। उससे एक दिन पहले मंगलवार को उन्हें पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ गोपनीयता कानून के उल्लंघन केस में 10 साल की जेल हुई है। पिछले साल खान तोशखाना से जुड़े एक अलग मामले में तीन साल की जेल हुई थी।
पाकिस्तान में कानून के अनुसार, किसी भी अपराध में दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
हालांकि, सभी फैसले निचली अदालतों द्वारा दिए गए हैं और इमरान खान के पास ऊपरी अदालतों में जाने का विकल्प है। वह फिलहाल रावलपिंडी की अटॉक जिला जेल में बंद हैं। अदालती फैसलों की वजह से 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव से खान बाहर हो चुके हैं।
नवाज शरीफ सबसे बड़े उदाहरण
इस बार इमरान खान के लिए भी वही कहा जा रहा है कि यह उनके राजनीतिक करियर के अंत की शुरुआत है, जैसा कि 2018 में नवाज शरीफ के लिए कहा गया था लेकिन पाकिस्तान में तब तक किसी की सियासी पारी खत्म नहीं कही जा सकती है, जब तक कि उसकी सांसें थम नहीं गई हो।
नवाज शरीफ इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। हालांकि, उनकी गैर मौजूदगी में उनके भाई शहबाज शरीफ और बेटी मरियम शरीफ ने पार्टी को नेतृत्व दिया था लेकिन इमरान खान इस मामले में कमतर साबित हुए हैं।
छोड़ चुके 150 से ज्यादा नेता साथ
इमरान खान की जब से मुश्किलें शुरू हुई हैं, तब से करीब 150 से ज्यादा नेता उनका साथ छोड़ चुके हैं। इमरान खान के सलाखों के पीछे होने से शिरीन मजारी और फवाद चौधरी जैसे शीर्ष नेताओं ने भी पीटीआई छोड़ दी।
9 मई, 2023 को जब खान को भ्रष्टाचार के मामले में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर के बाहर गिरफ्तार किया गया था, तब पीटीआई कार्यकर्ताओं ने पूरे पाकिस्तान में सरकारी इमारतों और सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़, हिंसा और उपद्रव फैलाया था।
उसके बाद पीटीआई के सैकड़ों सदस्यों को हिरासत में लिया गया या जेल में डाल दिया गया था, तब से कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला भी जारी है।
मुकदमों और संकटों से घिरे इमरान खान
फिलहाल इमरान खान पर पूरे पाकिस्तान में तोशखाना और गोपनीयता उल्लंघन समेत करीब 170 मुकदमे दर्ज हैं। सैन्य संस्थान पर हमले के भी आरोप हैं।
इससे साफ है कि आने वाले समय में वह अदालतों के चक्कर काटते नजर आ सकते हैं। दूसरी तरफ, चुनाव आयोग ने उनके चुनाव चिह्न ‘बल्ला’को जब्त कर लिया है।
उनकी पार्टी को अब ‘बोतल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है। इससे शराबी के रूप में उनकी पहचान को धूमिल किया जा रहा है। खान की पार्टी चुनावों के दौरान कोई बड़ा प्रचार भी नहीं कर पा रही है। वह कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए ही लोगों को संबोधित कर पा रहे हैं।