रामलला की वो दो मूर्तियां जो मंदिर के गर्भगृह नहीं पहुंच पाईं, करिए उनके दर्शन…
अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की एक सुंदर और मोहिनी मुस्कान वाली मूर्ति विराजमान है।
इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सात महीने में तैयार किया है। गर्भगृह के लिए तीन मूर्तियां आई थी, जिसमें योगीराज की मूर्ति सलेक्ट हुई।
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद गर्भगृह में स्थापित रामलला की श्यामल मूर्ति के दर्शन तो हो गए लेकिन, अब बाकी की दो मूर्तियों की तस्वीर सामने आई है। इन मूर्तियों को गणेश भट्ट और सत्य नारायण पांडे ने तैयार किया है।
अपनी शिल्प कौशल में समान रूप से आश्चर्यजनक ये मूर्तियां मंदिर परिसर के भीतर अपने अंतिम स्थान की प्रतीक्षा में हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि इन मूर्तियों को मंदिर के प्रथम तल में स्थान दिया जाएगा। इन मूर्तियों पर भी रामभक्तों का विशेष ध्यान आकर्षित हुआ है।
मूर्तिकार गणेश भट्ट द्वारा काले रंग के पत्थर (कृष्णशिला) से बनाई रामलला की मूर्ति ने भक्तों और कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है।
अब इस मूर्ति की तस्वीरें जारी की गई हैं। पांच वर्षीय रामलला की मासूमियत दिखाती 51 इंच की मूर्ति, कृष्ण शिला के नाम से जाने जाने वाले काले पत्थर से बनाई गई है।
यह शिला कर्नाटक के मैसूर में मिलती है। गणेश भट्ट द्वारा निर्मित रामलला की मूर्ति को गर्भगृह के लिए नहीं चुना गया, लेकिन राम मंदिर के मामलों की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने आश्वासन दिया है कि मूर्ति को मंदिर परिसर में जल्द स्थापित किया जाएगा।
गणेश भट्ट द्वारा निर्मित रामलला की मूर्ति उन दो में से एक है जो गर्भगृह में नहीं पहुंच सकीं। दूसरी मूर्ति सत्यनारायण पांडे द्वारा बनाई गई है।
सत्य नारायण पांडे द्वारा रामलला की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनाई गई है। यह आकर्षक मूर्ति सुनहरे आभूषणों और कपड़ों से सजाई गई है।
मूर्ति के चारों ओर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को दर्शाया गया है। पांडे द्वारा निर्मित सफेद संगमरमर की मूर्ति भी संभवतः मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित की जाएगी।
गर्भगृह में स्थापित मूर्ति की मुस्कान का राज
जिस मूर्ति को गर्भगृह के लिए चुना गया वो अरुण योगीराज की है। वह मैसूर के रहने वाले हैं और उनका परिवार करीब 300 साल से मूर्ति बनाने का काम करता है।
उनकी बनाई मूर्ति के गर्भगृह में स्थापित होने पर वह खुशी जताते हैं। कहते हैं कि वो धरती के सबसे भाग्यशाली इंसान हैं। मूर्ति को बनाने में उन्हें सात महीने लग गए।
इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा कि भगवान राम उन्हें जैसा आदेश देते रहे, वो मूर्ति बनाते रहे।
योगीराज ने कहा कि मूर्ति बनने के बाद अलग छवि थी और प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें मूर्ति अलग और ज्यादा सुंदर लग रही है। इसके पीछे भगवान राम का ही चमत्कार है।
योगीराज ने कहा कि मूर्ति में रामलला की मुस्कान लाने के लिए वो स्कूलों में गए और बच्चों के बीच समय बिताया। इसके अलावा मानव शरीर रचना विज्ञान से जुड़ी कई किताबें भी पढ़ी।
योगीराज बताते हैं कि उन सात महीनों में उन्हें कई चमत्कारिक अनुभव मिले। जैसे रोज एक बंदर उनके घर के दरवाजे पर आकर रामलला की मूर्ति के दर्शन को आता था।