राम के नाम पर दूसरों को डराओ नहीं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले क्या बोले बाबा रामदेव…
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि भगवान राम के नाम पर लोगों को डराने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि 1947 में देश को राजनीतिक आजादी मिली थी, लेकिन अब रामलला की प्राण प्रतष्ठिा से देश को सांस्कृतिक स्वतंत्रता मिलने जा रही है।
रामदेव ने प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को लेकर कहा कि मंदिर निर्माण स्वयं प्रभु की इच्छा से हो रहा है और प्राण प्रतिष्ठा जब श्रीराम की हो तो सभी मुहूर्त दिव्य हो जाते हैं।
इससे जुड़े सवाल करने वाले लोग अज्ञानी हैं। उन्होंने कहा, ‘भगवान राम के नाम पर लोगों को मत डराओ कि मुहूर्त पवित्र नहीं है।
भगवान राम तम्बू से मंदिर आ रहे हैं और गर्भगृह का निर्माण पूरा हो गया है। यह सिर्फ राम मंदिर का निर्माण नहीं है। यह राम राज्य की ओर देश की प्रगति है।’
अयोध्या में श्री रामलला मंदिर के प्राण प्रतष्ठिा समारोह में शामिल होने आए संतों ने पवित्र सरयू की राम की पैड़ी पर बातचीत की।
इस दौरान, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन से लेकर देश के साधु-संतों के योगदान और राजनीति की भी चर्चा हुई।
रामदेव ने इस सम्मेलन की शुरुआत करते हुए कहा, ‘वर्ष 1947 में देश को राजनीतिक आजादी मिली थी, लेकिन अब श्री रामलला की प्राण प्रतष्ठिा के साथ ही देश को सांस्कृतिक स्वतंत्रता मिलने जा रही है।
इसका सभी देशवासी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और अब यह इंतजार खत्म होने वाला है।’
असंख्य रामभक्तों का बहाया है अपना रक्त: साध्वी ऋतंभरा
इस अवसर पर, साध्वी ऋतंभरा ने मंदिर आंदोलन के दिनों को याद करते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, लोग पूछते हैं कि इसका श्रेय किसे दिया जाए।
उन्होंने बताया कि इसमें असंख्य रामभक्तों का रक्त बहा है। कई माताओं के पुत्र छिने हैं, कइयों का सिंदूर मिटा है। घरों के आंगन सूने हो गए तब जाकर ये दिन देखने को मिला है।
इस बीच उन्होंने कई ओजस्वी कविताओं का पाठ भी किया। इस दौरान डॉ. परमात्मा नंद सरस्वती, ज्ञानानंद महाराज, निर्मला नंद नाथ, माधव प्रिय दास, आचार्य कृष्ण मणि दास, संतोष दास (सतुआ बाबा) व आलोक दास मौजूद रहे।